Image Credit Goes To Wikimedia Commons & Vinoth Chandar मन को वश में करना समस्त प्राणियों के लिए बहुत ही जटिल कार्य है। क्योकि मन चलायमान होता है। मन के सन्दर्भ में तो यहाँ तक कहा गया है की वायु से भी तीव्र गति मन की होती है अर्थात संसार में सबसे तीव्र वती से मन कार्य करता है और हर इंसान को उसके लक्ष्य से भटकता है। द्वापर युग में जब महाभारत का युद्ध हुवा तब महात्मा अर्जुन ने भगवान् श्री कृष्ण से पूछा की हे केशव ,इस मन को कैसे वश में करें ? क्योकि ये मन बहुत चंचल है इसलियए किसी एक वस्तु या स्थान पर इसका बहुत देर तक रुकना असंभव है। इसलिए हे कृष्णा कृपा करके मेरा मार्दर्शन कीजिये। अर्जुन के इस प्रकार पूछने पे भगवन वासुदेव श्री कृष्ण ने बोला की हे अर्जुन तुमने सत्य कहा की ये मन बहुत चलायमान है और बहुत चंचल भी है इसलिए इसको वश में करना मुश्किल है। परन्तु हे पार्थ यदि तो नित्य अभ्यास करेगा इस मन को वश में करने का तो ये वश में आ जायेगा। तू इस मन वो समस्त इन्द्रिगोचर विषयो से हटाकर सिर्फ्र मेरी शरण में लगा दे ,और मुझसे नित्य प्रार्थना कर की ये भगवान् में मन ...
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