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Showing posts from May, 2020

तीन बार नारायण बोलता हूं | Three times speaks Narayan

देवर्षि नारद को हम सभी जानते है। उनके बिना शायद कोई भी शास्त्र या पुराण अधूरा है। नारद जी भगवान विष्णु के परम भक्त है और हर क्षण नारायण नारायण का ही जाप किया करते है। नारद मुनि जहां भी जाते थे, बस ‘नारायण, नारायण’ कहते रहते थे। नारद जी को तीनों लोकों में जाने की छूट थी। वह आराम से कहीं भी आ-जा सकते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि एक किसान परमानंद की अवस्था में अपनी जमीन जोत रहा था। नारद जी को यह जानने की उत्सुकता हुई कि उसके आनंद का राज क्या है।  जब वह उस किसान सेबात करने पहुंचे, तो वह अपनी जमीन को जोतने में इतना डूबा हुआ था, कि उसने नारद पर ध्यान भी नहीं दिया। दोपहर के समय, उसने काम से थोड़ा विराम लिया और खाना खाने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठा। उसने बर्तन को खोला, जिसमें थोड़ा सा भोजन था। उसने सिर्फ ‘नारायण, नारायण, नारायण’ कहा और खाने लगा।  आप जिस पल जीवन के एक आयाम से दूसरे आयाम में जाते हैं उस समय अगर आप सिर्फ अपनी जागरूकता कायम रख पाएं, तो आपको मुक्ति मिल सकती है। किसान अपना खाना उनके साथ बांटना चाहता था मगर जाति व्यवस्था के कारण नारद उसके साथ नहीं खा सकते थे।  नारद ने जी...