श्री जगन्नाथ अष्टकम का इतिहास जय जगन्नाथ भगवान जगन्नाथ को समर्पित जन्नानाथ अष्टकम की रचना स्वयं परम पूज्य श्री चैतन्न्य महाप्रभु के द्वारा तब की गई थी जब श्री चैतन्नय महाप्रभु अपनी यात्रा के दौरान प्रथम बार पुरी आए थे और उन्होंने श्री जन्ननाथ स्वामी के दर्शन करें थे। श्री जगन्नाथ स्वामी के मरोरम रूप के दर्शन कर श्री चैतन्य महाप्रभु भाव विभोर हो गए और जगन्नाथ स्वामी के दर्शन करने के साथ ही साथ महाप्रभु ने जगन्नाथ अष्टकम की रचना कर डाली और जगन्नाथ स्वामी को तत्काल सुनाकर भगवान को तृप्त कर दिया। Shri Jagannath Ashtakam in sanskrit | Shri Jagannath Ashtakam Iskcon कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलो मुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदो जगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥१॥ अनुवाद- हे प्रभु ! आप कदाचित जब अति आनंदित होते है,तब कालिंदी तट के निकुंजों में मधुर वेणु नाद द्वारा सभी का मन अपनी ओर आकर्षित करने लगते हो, वह सब गोपबाल ओर गोपिकाये ऐसे आपकी ओर मोहित हो जाते है जैसे भंवरा कमल पुष्प के मकरंद पर मोहित रहता है, आपके चरण कमलो को जोकि लक्ष्मी जी, ...
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