Skip to main content

सनातन धर्म क्या है और इसका महत्व क्या है?

यदि आप सनातन धर्म के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख में आपको इस धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों और उत्पत्ति के बारे में जानकारी मिलेगी। सनातन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ था और आज भी दुनिया भर में अनेकों लोगों द्वारा अपनाया जाता है।

सनातन धर्म क्या है?

सनातन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ था। इस धर्म के मूल सिद्धांत हैं सत्य, अहिंसा, धर्म, कर्म और मोक्ष। सनातन धर्म के अनुयायी इसे एक जीवन शैली के रूप में देखते हैं जो उन्हें अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में निर्देशित करती है।

सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझें

सनातन धर्म के मूल सिद्धांत हैं सत्य, अहिंसा, धर्म, कर्म और मोक्ष। सत्य का अर्थ है सच्चाई का पालन करना, अहिंसा का अर्थ है किसी भी प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाना, धर्म का अर्थ है नियमों और नैतिकता का पालन करना, कर्म का अर्थ है कर्तव्यों का पालन करना और मोक्ष का अर्थ है आत्मा की मुक्ति प्राप्त करना। ये सिद्धांत सनातन धर्म के अनुयायी के जीवन के सभी क्षेत्रों में निर्देशित करते हैं।

सनातन धर्म का महत्व क्या है?

सनातन धर्म का महत्व बहुत अधिक है। यह धर्म भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके मूल सिद्धांतों को समझना बहुत जरूरी है। सनातन धर्म के अनुयायी इसे अपने जीवन का मार्गदर्शन मानते हैं और इसके नियमों का पालन करते हैं। इसके माध्यम से वे अपने जीवन को सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं। सनातन धर्म का महत्व भारतीय सभ्यता के विकास और संरचना में भी बहुत अधिक है।

सनातन धर्म के इतिहास को समझें

सनातन धर्म, जिसे हिन्दू धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है, भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी उत्पत्ति बहुत पुरानी है और इसमें अनेक चीजें शामिल हैं जैसे अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा आदि। सिन्धु घाटी सभ्यता में भी हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। इस धर्म का इतिहास बहुत विस्तृत है और इसे समझने के लिए अध्ययन करना आवश्यक है।  एक अनुमान के अनुसार इसका इतिहास १९६०८५३११० साल से भी अधिक है।

सनातन धर्म के विभिन्न अंगों को समझें

सनातन धर्म के विभिन्न अंगों के बारे में विस्तार से वर्णन करना इतना सरल नहीं है क्योंकि सनातन धर्म भी परमेश्वर की तरह है जिसकी अपने आप में संपूर्ण व्याख्या कर पाना असंभव प्रतीत होता है। 
फिर भी सनातन धर्म के अंगों में जो प्रमुख बातें सामने आती हैं उन सब को हम आपके सामने प्रकट कर रहे हैं जैसे सनातन धर्म को चार वेदों में बांटा गया है - ऋग्वेद ,सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। जो सिद्धांत, जो आदर्श इन वेदो बताए गए हैं उन्हीं पर चलकर समस्त मानव जाति जो सनातन धर्म को मानती है अपने जीवन पथ पर अग्रसर होती है। 
अगर प्राचीन काल की माने तो प्राचीन काल से ही सनातन हिंदू धर्म को प्रमुख चार सम्प्रदायों में विभक्त किया गया था जिसमे पहला संप्रदाय वैष्णव है जो भगवान् विष्णु को परमेश्वर स्वरुप मानते हैं, दूसरा सम्प्रदाय शैव है जो भगवान् सदाशिव को परमेश्वर स्वरुप मानते हैं, तीसरा सम्प्रदाय शाक्त है जो देवी आदिशक्ति को  परमशक्ति मानकर उनकी पूजा करते है और अंत में चौथा सम्प्रदाय स्मार्त है जो भगवान् के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते है। 

Comments

Popular posts from this blog

Jagannath Bhagwan Ki Aankhe Badi Kyo Hai | जगन्नाथ भगवान् की आंखे बड़ी क्यों है

Jagannath Bhagwan Ki Aankhe Badi Kyo Hai | जगन्नाथ भगवान् की आंखे बड़ी क्यों है ?? इसके मूल में भगवान् के प्रगाढ़ प्रेम को प्रकट करने वाली एक अद्भुत कथा आती है। एक बार द्वारिका में रुक्मणी आदि रानियों ने माता रोहिणी से प्रार्थना की कि वे श्रीकृष्ण व गोपियों की बचपन वाली प्रेम लीलाएँ सुनना चाहतीं हैं। पहले तो माता रोहिणी ने अपने पुत्र की अंतरंग लीलाओं को सुनाने से मना कर दिया। किन्तु  रानियों के बार-बार आग्रह करने पर मैया मान गईं और उन्होंने सुभद्रा जी को महल के बाहर पहरे पर खड़ा कर दिया और महल का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया ताकि कोई अनधिकारी जन विशुद्ध प्रेम के उन परम गोपनीय प्रसंगों को सुन न सके। बहुत देर तक भीतर कथा प्रसंग चलते रहे और सुभद्रा जी बाहर पहरे पर सतर्क होकर खड़ी रहीं। इतने में द्वारिका के राज दरबार का कार्य निपटाकर श्रीकृष्ण और बलराम जी वहाँ आ पहुँचे। उन्होंने महल के भीतर जाना चाहा लेकिन सुभद्रा जी ने माता रोहिणी की आज्ञा बताकर उनको भीतर प्रवेश न करने दिया। वे दोनों भी सुभद्रा जी के पास बाहर ही बैठ गए और महल के द्वार खुलने की प्रतीक्षा करने लगे। उत्सुकता वश श्र...

भगवद गीता: आध्यात्मिक ज्ञानोदय के लिए एक मार्गदर्शिका

भगवद गीता: आध्यात्मिक ज्ञानोदय के लिए एक मार्गदर्शिका भगवद गीता एक श्रद्धेय आध्यात्मिक पाठ है जिसमें आत्मज्ञान और आंतरिक शांति चाहने वालों के लिए गहन ज्ञान और मार्गदर्शन है। यह हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है और दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है। भगवद गीता में, भगवान कृष्ण योद्धा अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्म-प्राप्ति के मार्ग के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक शिक्षा देते हैं। यह प्राचीन पाठ मानव स्थिति और आध्यात्मिक विकास की खोज में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने और प्रेरित करने के लिए जारी है। भगवत गीता का परिचय भगवद गीता एक कालातीत आध्यात्मिक पाठ है जो आत्मज्ञान और आंतरिक शांति चाहने वालों के लिए गहन ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक माना जाता है और हिंदू धर्म में इसका पूजनीय स्थान है। इस पवित्र ग्रंथ में, भगवान कृष्ण योद्धा अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्म-प्राप्ति के मार्ग के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक शिक्षा देते हैं। भगवद गीता मानव स्थिति और आध्यात्मिक विका...