Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2018

हमारा व्यवहार हमारा नियंत्रण - अर्जुन की गीता

 हमारा व्यवहार हमारा नियंत्रण हर रिश्ते की अपनी अलग एहमियत होती है। हर रिश्ता अपने लिहाज़ से एहम होता है। हम सब अपने जीवन में कोशिश तो करते है की हर एक रिश्ते को संभाल के रखे पर कोई न कोई रिश्ता उलझ ही जाता है। आज हम आपको बताएँगे की रिश्तो को सहेज के रखने का मूलमंत्र क्या है।  अगर हम किसी और के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो हमें अपनी प्रकृति में बदलाव करने की जरूरत है। किसी अन्य व्यक्ति का व्यवहार हमारे नियंत्रण में है या नहीं, लेकिन हमारा व्यवहार हमारे नियंत्रण में है। जब हमारा व्यवहार दूसरों के लिए नरम होता है और हर किसी के कल्याण की इच्छा रखता है, तो हम पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहेंगे और यह हमें दूसरों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करेगा। Image Credit Goes To Wikipedia जब कोई व्यक्ति हमारे लिए अच्छा नहीं सोचता है, तो हमें उससे नाराज नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें उस व्यक्ति पर करुणा करना चाहिए और उस व्यक्ति के लिए भगवान के लिए प्रार्थना करना चाहिए। जब हम उस व्यक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं, तो हमारी प्रार्थनाओं से उत्...

श्री चैतन्य महाप्रभु की जगन्नाथ पुरी की यात्रा के दर्शन

श्री चैतन्य महाप्रभु की जगन्नाथ पुरी की यात्रा के दर्शन  चैतन्य महाप्र भु  भगवान् श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक थे और उन्होंने हमें अद्भुत चमत्कारिक मात्रा प्रदान किया " हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे " चैतन्य महाप्रभु जगन्नाथपुरी जाते हुए मार्ग में अनेक महत्वपूर्ण स्थानों के दर्शन करते जा रहे थे।  उन्होंने गोपीनाथ जी के मंदिर में दर्शन किए जिन्होंने अपने भक्त श्री माधवेंद्र पुरी के लिए खीर चुराई थी तब से गोपीनाथ जी खीर-चोर गोपीनाथ कहलाते हैं। महाप्रभु ने बड़े चाव से इस कथा का आस्वादन किया और   इस बात पर प्रकाश डाला की चुराने की प्रवृति परम चेतना तक में पाई जाती है ,परंतु व्यक्ति भगवान द्वारा प्रदर्शित की गई थी अतः इसकी प्रकृति समाप्त हो गई और इस पर विचार के आधार पर चैतन्य महाप्रभु द्वारा भी यह पूजनीय बन गई कि भगवान तथा उनकी खीर चोरी करने की वृत्ति एक तथा अभिन्न है।  Image Credit Goes To Wikimedia Commons कृष्णदास कविराज गोस्वामी ने चैतन्य चरितामृत में इस रोचक कथा का विस्तार से वर्णन किया है। उड़ीसा...

भक्ति की शक्ति का दर्शन - श्रीमद भागवत

भक्ति की शक्ति का दर्शन भक्ति में कितनी शक्ति होती है इस बात का प्रमाण हमारी भागवत में स्पष्ट रूप से दिया गया है। संसार में कई ऐसे भक्त हैं हुए हैं जिन्होंने भक्ति की पराकाष्ठा को सिद्ध किया और भगवान को प्राप्त करना कितना सहज है इस बात को संसार के समक्ष प्रस्तुत किया।  जब बच्चा जन्म लेता है, तो कुछ दिनों में ही अपनी माँ को प्रेम करने लगता है, फिर अपने पिता को ,धीरे-धीरे वह अपने अन्य भाई,बहन को प्रेम करने लगता है। क्या उसे कोई यह प्रेम करना सिखाता है? नहीं भगवान प्रत्येक जीव को प्रेम करने की शक्ति अर्थात भक्ति देकर ही इस जगत में भेजतें हैं लेकिन हम इस शक्ति को शरीर के रिश्तेदारों व संसारिक वस्तुओं में निवेशित करते रहते हैं जबकि इसे हमें भगवान की सेवा या भक्ति में लगाना चाहिए जिससे हम भगवत-प्रेम का विकास अपने हृदय में कर सकते हैं। वस्तुतः भगवान के साथ हमारा सम्बन्ध, सेवा का सम्बन्ध है। भगवान परम भोक्ता हैं और हम सारे जीव उनके भोग(सेवा) के लिए बने हैं और यदि हम भगवान के साथ उस नित्य भोग में भाग लेते हैं तो हम वास्तव में सुखी बनते है तथा आनन्द का उपभोग करते हैं, क...