Skip to main content

श्री चैतन्य महाप्रभु की जगन्नाथ पुरी की यात्रा के दर्शन

श्री चैतन्य महाप्रभु की जगन्नाथ पुरी की यात्रा के दर्शन 
चैतन्य महाप्रभु भगवान् श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक थे और उन्होंने हमें अद्भुत चमत्कारिक मात्रा प्रदान किया "हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे "
चैतन्य महाप्रभु जगन्नाथपुरी जाते हुए मार्ग में अनेक महत्वपूर्ण स्थानों के दर्शन करते जा रहे थे।  उन्होंने गोपीनाथ जी के मंदिर में दर्शन किए जिन्होंने अपने भक्त श्री माधवेंद्र पुरी के लिए खीर चुराई थी तब से गोपीनाथ जी खीर-चोर गोपीनाथ कहलाते हैं। महाप्रभु ने बड़े चाव से इस कथा का आस्वादन किया और   इस बात पर प्रकाश डाला की चुराने की प्रवृति परम चेतना तक में पाई जाती है ,परंतु व्यक्ति भगवान द्वारा प्रदर्शित की गई थी अतः इसकी प्रकृति समाप्त हो गई और इस पर विचार के आधार पर चैतन्य महाप्रभु द्वारा भी यह पूजनीय बन गई कि भगवान तथा उनकी खीर चोरी करने की वृत्ति एक तथा अभिन्न है। 
Image Credit Goes To Wikimedia Commons
कृष्णदास कविराज गोस्वामी ने चैतन्य चरितामृत में इस रोचक कथा का विस्तार से वर्णन किया है। उड़ीसा  में बालासोर स्थिति रमुना के खीर-चोर गोपीनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद महाप्रभु जगन्नाथ पुरी की ओर चल पड़े और रास्ते में उन्होंने साक्षी गोपाल मंदिर में दर्शन किए जो ब्राह्मण भक्तों के पारिवारिक झगड़े के संबंध में साक्षी रूप में प्रकट हुए थे। उन्होंने साक्षी गोपाल की कथा बड़े चाव से सुनी क्योंकि वे नास्तिकों को यह बताना चाहते थे कि महान आचार्यों द्वारा संस्तुत मंदिरों के पूज्य आचार विग्रह कोरी मूर्तियां नहीं होती ,जैसा कि कम बुद्धि वाले लोग आरोप लगाते हैं। 
मंदिर का विग्रह भगवान का अर्चा अवतार होता है। अतः विग्रह सभी प्रकार के भगवान से अभिनय होता है। वह अपने भक्तों के प्रेम के अनुसार ही प्रभाव दिखाते हैं। साक्षी गोपाल की कथा में दो भगवत भक्तों के बीच पारिवारिक अनबन हो गई तो भगवान ने झगड़ा समाप्त करने तथा अपने सेवकों पर विशेष कृपा दिखाने के लिए वृंदावन से उड़ीसा क्षेत्र विद्यानगर गांव तक अपने अर्चि अवतार के रूप में यात्रा की। वहां से यह विग्रह कटक लाया गया, इसलिए आज भी हजारों तीर्थयात्री जगन्नाथपुरी जाते समय साक्षी गोपाल मंदिर के दर्शन करने आते हैं। 
Image Credit Goes To Wikimedia Commons
चैतन्य महाप्रभु यहां रात्रि भर रुकेऔर फिर उन्होंने जगन्नाथ पुरि के लिए प्रस्थान किया। रास्ते में नित्यानंद प्रभु ने उनका सन्यास दंड तोड़ डाला ,महाप्रभु उन पर ऊपरी तौर पर कुपित हुए और अपने सारे संगियों को पीछे छोड़कर अकेले ही पूरी चले गए। 
भगवान श्री कृष्ण की जय
श्री चैतन्य महाप्रभु की जय 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 

Comments

Popular posts from this blog

सनातन धर्म क्या है और इसका महत्व क्या है?

यदि आप सनातन धर्म के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख में आपको इस धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों और उत्पत्ति के बारे में जानकारी मिलेगी। सनातन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ था और आज भी दुनिया भर में अनेकों लोगों द्वारा अपनाया जाता है। सनातन धर्म क्या है? सनातन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ था। इस धर्म के मूल सिद्धांत हैं सत्य, अहिंसा, धर्म, कर्म और मोक्ष। सनातन धर्म के अनुयायी इसे एक जीवन शैली के रूप में देखते हैं जो उन्हें अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में निर्देशित करती है। सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को समझें सनातन धर्म के मूल सिद्धांत हैं सत्य, अहिंसा, धर्म, कर्म और मोक्ष। सत्य का अर्थ है सच्चाई का पालन करना, अहिंसा का अर्थ है किसी भी प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाना, धर्म का अर्थ है नियमों और नैतिकता का पालन करना, कर्म का अर्थ है कर्तव्यों का पालन करना और मोक्ष का अर्थ है आत्मा की मुक्ति प्राप्त करना। ये सिद्धांत सनातन धर्म के अनुयायी के जीवन के सभी क्षेत्रों में निर्देशित करते हैं। सनातन धर्म का महत्व क्या ह...

हनुमान चालीसा का अर्थ और महत्व समझे

हनुमान चालीसा हिंदू पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख देवता, भगवान हनुमान को समर्पित एक श्रद्धेय भजन है। यह शक्तिशाली भजन भक्तों के लिए गहरा अर्थ और महत्व रखता है, क्योंकि यह भगवान हनुमान के गुणों और गुणों को समाहित करता है। इस ज्ञानवर्धक मार्गदर्शिका में, हम हनुमान चालीसा के छंदों के पीछे के रहस्यों का पता लगाएंगे और हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता में इसके महत्व को समझेंगे। हनुमान चालीसा का परिचय हनुमान चालीसा एक पवित्र स्तोत्र है जिसका हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व है। यह भगवान हनुमान को समर्पित है, जो शक्ति, भक्ति और वफादारी के प्रतीक के रूप में पूजनीय हैं। इस भजन में 40 छंद हैं, जिनमें से प्रत्येक में भगवान हनुमान के विभिन्न गुणों और उपलब्धियों का वर्णन है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त को आशीर्वाद, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास मिल सकता है। इस परिचय में, हम हनुमान चालीसा की उत्पत्ति और महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिससे इस श्रद्धेय भजन की गहरी समझ के लिए मंच तैयार होगा। हनुमान चालीसा का इतिहास और उत्पत्ति हनुमान चालीसा की उत्पत्ति भारत में 16व...

विष्णु के दस अवतारों का अनावरण: हिंदू पौराणिक कथाओं के माध्यम से एक यात्रा

विष्णु के दस अवतारों का अनावरण: हिंदू पौराणिक कथाओं के माध्यम से एक यात्रा Image credit Goes To Canva आज हम विष्णु के दस अवतारों का अनावरण करेंगे। हिंदू पौराणिक कथाओं के माध्यम से एक मनोरम यात्रा शुरू करेंगे। प्राचीन कथाओं और श्रद्धेय धर्मग्रंथों में डूबे ये अवतार ब्रह्मांड के संरक्षक और रक्षक भगवान विष्णु की दिव्य अभिव्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजसी मत्स्य, मछली अवतार से लेकर, शक्तिशाली कल्कि, सफेद घोड़े पर सवार योद्धा तक, प्रत्येक अवतार सृजन, संरक्षण और विनाश के ब्रह्मांडीय चक्र में एक अनूठी झलक पेश करता है। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन अवतारों को जीवंत बनाने वाली आकर्षक कहानियों, उनके प्रतीकवाद, महत्व और कालातीत शिक्षाओं की खोज करते हैं। इन पौराणिक आख्यानों में छिपे गहन ज्ञान की खोज करें, क्योंकि वे अच्छे और बुरे के बीच शाश्वत युद्ध, धार्मिकता की शक्ति और मोक्ष के अंतिम मार्ग में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। चाहे आप हिंदू धर्म के समर्पित अनुयायी हों या विविध संस्कृतियों के जिज्ञासु खोजकर्ता हों, यह यात्रा आपकी कल्पना को मोहित करने और हिंदू पौराणिक कथ...